मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 25 July 2014

माँ .......





जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  संध्या  ! 

धरती से फूट रहा है ,
नवजात है
और पौधा ,
धरती से पूछ रहा है
कि
यह आसमान को कब छुएगा
छू ....सकेगा भी या नही ?
तुने पकड़ा है ,
गोद में ले रखा है इसे
छोड़ दे .........
इसका विकास रुका है
ओ ! माँ .......
माँ की मुस्कान बोलती है
भावना फलीभूत हो बेटा ......
आस पूरी हो
किन्तु
आसमान को छूना आसान नही है
मेरे अंदर उतरकर
जब छुएगा
गहन गहराईयाँ
तब ....कहीं... संभव हो ....
आसमान को छूना
आसान नही है !
आचार्य श्री विद्यासागर जी “डुबो मत डुबकी लगाओ” में

ज्ञान का प्रवाह


जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  संध्या  !

ज्ञान का प्रवाह तो नदी के प्रवाह की तरह है ,उसे सुखाया नही जा सकता है ! इसी प्रकार ज्ञान का नाश नही किया जा सकता है ,उसे स्व पर कल्याण की दिशा में प्रवाहित किया जा सकता है! यही ज्ञानोपयोग है !

Friday 11 July 2014

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !





जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  प्रात: !