मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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Thursday 19 September 2013

क्षमा भाव



जय जिनेन्द्र मित्रों .....प्रणाम !आप सभी से मन वचन काय से क्षमा भाव ......मै सब जीवो को क्षमा करता हूँ आप सब मुझे क्षमा करें......
क्षमा प्रेम का परिधान है। क्षमा विश्वास का विधान है। क्षमा सृजन का सम्मान है। क्षमा नफरत का निदान है। क्षमा पवित्रता का प्रवाह है। क्षमा नैतिकता का निर्वाह है। क्षमा सद्गुण का संवाद है। क्षमा शक्ति है, धर्म है, दुर्बलता नहीं।

Monday 2 September 2013

पर्युषण पर्व व दसलक्षण पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !





बंधुओं जय जिनेन्द्र ! प्रणाम ! नमस्कार !
पर्युषण पर्व व दसलक्षण पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !
बंधुओं !
क्षमा का जन्म होता है ,जब व्यक्ति स्वयं के प्रति क्रोधित होता है ,इसके अलावा जीवन में सब मात्र दिखावा ही है , स्वयं को छलना है !
शक्ति और क्षमा
क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा
पर नर व्याघ्र दुर्योधन तुमसे
कहो, कहाँ कब हारा ?

क्षमाशील हो रिपु-समक्ष
तुम हुये विनीत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही।

अत्याचार सहन करने का
कुफल यही होता है
पौरुष का आतंक मनुज
कोमल होकर खोता है।

क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
विषरहित, विनीत, सरल हो ।
तीन दिवस तक पंथ मांगते
रघुपति सिन्धु किनारे,
बैठे पढ़ते रहे छन्द
अनुनय के प्यारे-प्यारे ।

उत्तर में जब एक नाद भी
उठा नहीं सागर से
उठी अधीर धधक पौरुष की
आग राम के शर से ।

सिन्धु देह धर त्राहि-त्राहि
करता आ गिरा शरण में
चरण पूज दासता ग्रहण की
बँधा मूढ़ बन्धन में।

सच पूछो , तो शर में ही
बसती है दीप्ति विनय की
सन्धि-वचन संपूज्य उसी का
जिसमें शक्ति विजय की ।

सहनशीलता, क्षमा, दया को
तभी पूजता जग है
बल का दर्प चमकता उसके
पीछे जब जगमग है।
श्री रामधारी सिंह दिनकर