जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !
जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!
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Thursday, 19 September 2013
क्षमा भाव
जय
जिनेन्द्र मित्रों .....प्रणाम !आप सभी से मन वचन काय से क्षमा भाव ......मै सब
जीवो को क्षमा करता हूँ आप सब मुझे क्षमा करें...... क्षमा प्रेम का परिधान है। क्षमा विश्वास
का विधान है। क्षमा सृजन का सम्मान है। क्षमा नफरत का निदान है। क्षमा पवित्रता का
प्रवाह है। क्षमा नैतिकता का निर्वाह है। क्षमा सद्गुण का संवाद है। क्षमा शक्ति
है, धर्म है, दुर्बलता नहीं।
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