जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !
जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!
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कोई कापीराइट नहीं ..........
Friday, 30 August 2013
जय जिनेन्द्र बंधुओं
जय
जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार ! किसी को
कुछ देना हो तो सहज भाव से अपनी शक्ति अनुसार दे डालिए ! किसी का गुप्त भेद खोलकर
क्या लेना है ? ऐसा करने से उपकार/उपहार का फल समाप्त हो जाता है !
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