जय जिनेन्द्र दोस्तों !
भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
व्यक्ति बात करे लेकिन दुसरे
के तनाव का कारण न बने ! होता यह है कि मन के अनुकूल बात हो तो भी तनाव हो जाता है
और बात मन के प्रतिकूल हो तो भी तनाव हो जाता है ! स्वास्थय के लिए जरूरी है कि
कहने वाले की बात में निहित सच्चाई को जानें ,उसके मंतव्य को समझें ताकि तनाव का
हेतु न बनें !
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