जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों
! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ मध्यान्ह !
ज्ञान के समान अन्य कुछ भी पवित्र नही है ,
आत्मा को पावन करने वाला नही है ! जैसे प्रज्वलित अग्नि काष्ठ समूह को भस्मसात कर
देती है , वैसे ही ज्ञान रूपी अग्नि सम्पूर्ण कर्मों को भस्म कर देती है !
भगवद्गीता से
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