मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday, 29 October 2011

सम्यक दर्शन


      सम्यक दर्शन
दर्शन का अर्थ है –देखने की क्षमता
ज्ञान का अर्थ है – दिखाने की क्षमता
चरित्र का अर्थ है – सहने की क्षमता
दर्शन का अर्थ है जिसे देख लिया है मन से श्रद्धान कर लिया है  उसका दीवाना हो जाना |जिससे हृदय के तार केवल झंकृत हुए हैं अभी संगीत की मधुर रागिनी नहीं गाई लेकिन इस वीणा में भी मधुर अक्षय संगीत जाग्रत हो सकता है |अचल अडिग श्रद्धान का होना ही व्यवहार सम्यक दर्शन है ज्ञान का अर्थ है विवेक की रोशनी-होशियारी से काम लेना ,जिसे श्रद्धान कर लिया है उसे कायम रखना |सम्यक दर्शन के उपरान्त ज्ञान अपने आप ही सम्यक हो जाएगा |आपको मेहनत करने की कोई आवश्यकता नहीं है
चरित्र का अर्थ है जो व्यर्थ की सामग्री का संग्रह हो गया उन सबका निरोध कर देना| दर्शन ह्रदय की वीणा को झंकृत करेगा ,ज्ञान उपादेय को सुचना देकर संवर का कार्य करेगा तथा चरित्र प्रत्याख्यान
के साथ ही साथ व्यर्थ का निरोध करेगा जिससे आत्मा में विशुद्धि आएगी |
 आ० पुष्पदंतसागर जी की पुस्तक
“आध्यात्म के सुमन “से

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