आज का विचार 30.10.2011
www.teerthankar.blogspot.com
मृत्यु अतिथि है ,जो कहीं भी कभी भी
आ सकती है !
आर्यिका 105 माता स्वस्ति भुषण जी की
“एक लाख की एक एक बात “ से
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:
quite informative and real truth of life.
ReplyDelete