जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों
और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात:
!
ज्ञान के साथ ही करुणा का भाव
होना भी अति आवश्यक है ! करुणा मानव को जीवन के उच्च स्तर पर आसीन करती है क्योंकि वैचारिक क्रान्ति के बाद ही प्राणी
में करुणा का जन्म होता है ! करुणा को अहिंसा का आधार भी कहें तो कोई अतिशयोक्ति
नही होगी ! अहिंसा को जीवन में उतारने के लिए व्यक्ति को चरित्र की महती आवश्यकता
है ! चरित्र के अभाव में आज हमारा देश अनेक कठिनाइयों , अनैतिकता और भ्रष्टाचार का शिकार हो रहा है !
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