मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Sunday, 14 April 2013

धर्म


जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या !
जिनके अंदर धर्म की प्राप्ति हो जाती है , आनन्द की उपलब्धि हो जाती है ,प्रेम आंदोलित हो जाता है ,वे स्वयं के मार्ग के दीप बन जाते हैं तथा दूसरों के मार्ग के दीप बनने की उनकी स्वयं की कोई इच्छा नहीं होती ,फिर भी दूसरों का मार्ग प्रकाशित अवश्य ही करते हैं !

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