जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार
अनुकूल परिस्थितियोंमे तो सभी शांत
रहते हैं किन्तु जब प्रतिकूल परिस्थिति आती है ,अर्थात अशुभ कर्म का उदय आता है तब
व्यक्ति आकुलित हो जाता है ! इसीलिए साधक जानबूझकर अपने साम्य भाव की परीक्षा के
लिए तथा समय से पूर्व अपने कर्मों की निर्जरा के लिए प्रतिकूल वातावरण मे जाकर
बैठते हैं ! अनुकूल वातावरण मे जाकर साधना करते हैं व प्रतिकूल वातावरण मे परीक्षा
देते हैं !
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