जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात:
बोधि नाम है अपनी पहचान
का ! बोधि कहते हैं स्व-पर भेद विज्ञान को ! अपनी पहचान करना कठिन नहीं है क्योंकि
वह मै स्वयं हूँ किन्तु जब तक पहचान नहीं तब तक कठिन जान पड़ता है ! यद्यपि अपनी
पहचान कठिन है असंभव नहीं ,एक बार पहचान हो जाए तो भव भ्रमण की श्रंखला टूट जाए !
जीवन मे ऐसी घटनाएं कई बार होती हैं ,जब मनुष्य के मोह पर चोट लगती है और मनुष्य
सोचने पर विवश हो जाता है ! किन्तु अनादि काल की मनुष्य की कमजोरी व विषयों के
प्रति उसका आकर्षण उसके चिन्तन को धुंधला देता है !
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