जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
व्यक्ति
के अपने वश में कुछ भी नही ! जो कुछ भी होता है विधि के विधान से होता है ! जब
होनहार भली हो तो विपत्ति भी संपत्ति बन जाती है और यदि होनहार अनुकूल न हो तो
मित्र व सगे सम्बन्धी भी शत्रुवत व्यवहार करते दिखाई देते हैं !
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