मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Thursday, 27 February 2014

देह

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  प्रात: !
        
जिस देह को निज मानकर, नित रम रहा जिस देह में!
जिस देह को निज मानकर ,रच पच रहा जिस देह में!
जिस देह में अनुराग है ,एकत्व है जिस देह में!

क्षण एक सोचा क्या कभी ,क्या क्या भरा उस देह में!

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