मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

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Saturday, 17 November 2012

वाणी का असर


वाणी का असर
उर्दू के एक प्रसिद्ध शायर अकबर से किसी ने पूछा –उसने आपको गाली दी बदले में आपने उसे गाली क्यों नहीं दी ? चुप क्यों रहे ?
अकबर ने उत्तर दिया –जनाब ! क्या कोई गधा आपको दुलत्ती मार दे तो  आप पूछेंगे कि बदले में आपने दुलत्ती क्यों नहीं चलाई ?

गाली का उत्तर गाली से देना मूर्खता है ! महामना मदन मोहन मालवीय जी के समक्ष किसी विद्वान ने शेखी बघारते हुए –मैंने क्षमा का गहरा अभ्यास किया है ,चाहे कोई सौ गालियाँ भी दे ,मुझे क्रोध नहीं आएगा !
सहज भाव के साथ मालवीय जी ने कहा –बहुत अच्छी बात है !
विद्वान ने जिद करते हुए कहा –आप बेशक गाली देकर  देखिये तो सही !
मालवीय जी ने मुस्कुराकर कहा –भाई ! आपकी शान्ति परीक्षा के लिए मै अपनी जीभ को गाली गाली से गन्दी करूं क्या यह मेरी समझदारी होगी ?

वाणी सरस्वती का रूप है ,मुख सरस्वती का मन्दिर है ! जो मनुष्य वाणी से असभ्य और दुर्वचन बोलता है उसकी वाणी अपवित्र हो जाती है !
यजुर्वेद का एक कथन है –मेरी जिव्हा कल्याणकारी हो , मेरी वाणी महिमामयी हो ! वाणी से अमृत बरसाने वाला स्वयं भी अमृत पान करता है ! वाणी से जहर बरसाने वाला स्वयं भी जहर से संतप्त हो जाता है !

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