जिससे भी हम अपने मन की व्यथा कहेंगें ,दुःख - दर्द कहेंगें ,वह या तो राग-द्वेष व अज्ञानता वश हमारा ही दोष बताकर हमें और दुखी कर देगा या फिर दीन ,हीन ,मुसीबत का मारा समझकर दया दृष्टि से देखेगा ! हमारी और हमारे परिवार की कमजोरियों को यहाँ वहाँ कहकर बदनामी भी कर सकता है और हमारी कमजोरियों का गलत फायदा भी उठा सकता है !
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