बहुत दुःख है बड़ा कष्ट है ,धन
वालों क्या करते हो ?
दीन दुखी का ह्रदय कुचलते नहीं जरा भी डरते हो !
लक्ष्मी का क्या पता आज है ,कल
दरिद्रता छा जाए !
दो दिन की यह चमक चांदनी किस पर
हो तुम गर्वाये ?
धन दौलत पाकर भी सेवा अगर किसी
की कर न सका !
दयाभाव ला दुखित दिल के ,जख्मों
को यदि भर न सका !
वह नर अपने जीवन में सुख शान्ति
कहाँ से पायेगा ,
ठुकराता है जो औरों को ,स्वयं
ठोकरें खायेगा !
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