जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !
जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!
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Thursday, 20 December 2012
संकट और लक्ष्य
संकट के समय मन को डांवाडोल
मत होने दो ,किन्तु अपने लक्ष्य की अनन्त ऊँचाई की ओर दृष्टि फैलाओ ,अपने आदर्शों
की रमणीय कल्पनाओं से मन को आह्लादित करो ! तुम्हारा साहस दोगुना हो जाएगा व संकट
छिन्न - भिन्न !
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