जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !
जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!
सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !
कोई कापीराइट नहीं ..........
Sunday, 2 December 2012
ज्ञान हीन कर्म व कर्म हीन ज्ञान
ज्ञान हीन कर्म व कर्म हीन ज्ञान दोनों ही व्यर्थ हो जाते हैं !
ज्ञात सत्य का आचरण और आचरितसत्य का
ज्ञान –ये दोनों एक साथ होकर ही सार्थक होते हैं –भगवान महावीर
No comments:
Post a Comment