23वें
तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ
वाराणसी में जन्मे थे
भगवान पार्श्वनाथ
पार्श्वनाथ का जन्म आज से
लगभग 3 हजार
वर्ष पूर्व पौष कृष्ण एकादशी के दिन वाराणसी में हुआ था। उनके पिता अश्वसेन
वाराणसी के राजा थे। इनकी माता का नाम वामादेवी था। उनका प्रारंभिक जीवन राजकुमार के रूप में
व्यतीत हुआ।
भगवान पार्श्वनाथ की
लोकव्यापकता का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि आज भी सभी तीर्थंकरों की मूर्तियों और
चिह्नों में पार्श्वनाथ प्रभु की मूर्तियां सबसे ज्यादा है! आज भी पार्श्वनाथ की कई चमत्कारिक मूर्तियाँ देश भर में विराजित है। जिनकी
गाथा आज भी पुराने लोग सुनाते हैं ! ऐसे 23वें तीर्थंकर को शत्-शत् नमन !
प्रस्तुत है आचार्य श्री
गुतिनंदी जी विरचित “अभीष्ट सिद्धि स्तोत्र”
इसे आप सभी अपने यहाँ
मंदिरजी में छपवा(flex भी लगवाएं
) कर लगाएं व सुबह शाम सुविधानुसार जाप करें !
श्री अभीष्ट
सिद्धि स्तोत्र
रचनाकार –आचार्य श्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव
अभीष्ट सिद्धिदायाकम् ,अभीष्ट फल प्रदायकम् !
अलोक लोक ज्ञायकम् ,हे पार्श्व ! विश्व नायकम् !!
प्रभात सुप्रभात हो ,जहाँ जिनेन्द्र साथ हो !
जिनेन्द्र पार्श्वनाथ को प्रणाम हो –प्रणाम हो !1!
अनन्त ज्ञानवान हो , अनन्त दानवान हो !
अनन्त गुणनिधान हो, अनन्त सौख्यवान हो !!
विनम्र उत्तमांग हो ,अनाथ के सनाथ को !
जिनेन्द्र पार्श्वनाथ को प्रणाम हो –प्रणाम हो !2!
सुरेन्द्र पूज्य आप हो , नरेंद्र पूज्य आप हो !
शतेन्द्र पूज्य आप हो ,फणीन्द्र पूज्य आप हो !!
जहाँ जिनेन्द्र जाप हो ,वहाँ कभी ना पाप हो !
जिनेन्द्र पार्श्वनाथ को प्रणाम हो –प्रणाम हो !3!
जयंत में जयंत हो, महंत में महंत हो !
अनन्त में अनन्त हो ,हे पार्श्व मुक्तिकंत हो !!
समस्त कष्ट शांत हो ,समस्त विघ्न शांत हो !
जिनेन्द्र पार्श्वनाथ को प्रणाम हो –प्रणाम हो !4!
अहिपति तुम्हे नमे ,महिपति तुम्हे नमे !
ऋषि यति तुम्हे नमे ,मुनिपति तुम्हे नमे !!
सुपुत्र अश्वसेन को ,सुदीप उग्रवंश को !
जिनेन्द्र पार्श्वनाथ को प्रणाम हो –प्रणाम हो !5!
अहिपति की वल्लभा ,सुमाथ पे धरे सदा
इसीलिए उसे भजे ,समस्त विश्व सर्वदा !!
मुनीन्द्र “गुप्तिनंदी”को ,सुसिद्ध वेष दान हो !
जिनेन्द्र पार्श्वनाथ को प्रणाम
हो –प्रणाम हो !6!
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