जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
श्रेष्ठता
बल के होने में नही है ! श्रेष्ठता है बल का जनहित में प्रयोग ,सदुपयोग करने में !
किसी को बहती नदी में डुबो देने के लिए फैंक देने में क्या गौरव है ? गौरव है
तूफानी नदी में डूबते हुए किसी को बचा लेने में ! अपने बल की मार से किसी को
रुलाया तो क्या ? मजा तो तब है जब किसी
रोते हुए को हंसा सके आप !
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