जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
तुम
साफ़ दिल से जो भी विश्व मंगल के लिए कार्य करना चाह्ते हो ,शान के साथ करते चले
जाओ ! मत लजाओ किसी से , मत भय खाओ किसी से ! दुसरे क्या कहते हैं ये नही सुनना है
, आपका मन क्या कहता है यही काफी है ! हर युग में कृष्ण जीते हैं ,कंस हारा है !
द्रोपदी की विजय हुई है ,दु:शासन हारता रहा है !
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