जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
हर क्षण अपने प्रभु के साथ रहो ,उसे अपने मन में विराजित रखो ,उसकी पुण्य स्मृति में रहो ! जब भी और जो भी निज या पर हित की दृष्टि से कार्य करना हो , अपने आराध्य देव का स्मरण करते हुए करो ! सही और यथार्थ भक्ति तो अपने आराध्य देव से एकाकार हो जाने में है , किसी भी सुख दुःख की स्थिति में उससे अलग न होना !
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