जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
विश्व
की हर घटना गुरु होने के लिए प्रस्तुत है ! बोध लेने वाला होना चाहिए ! हर जगह बोध
का प्रकाश है , बस चाहिए तो देखने वाली ऑंखें ! प्रकाश के होते हुए भी अंधी आँखों
को प्रकाश दिखाई नही देता तो इसमें प्रकाश का क्या कसूर ?
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