चिन्ता हो या चिंतन ,नींद तो
दोनों में ही नहीं आती ,पर चिन्ता से चिन्तन श्रेष्ठ है ! चिन्ता एक मानसिक विकृति
का नाम है और चिन्तन है विशुद्ध तत्व विचार ! चिन्ता अशांति और आकुलता की जननी है
और चिन्तन है निराकुलता और शान्ति का स्त्रोत ! चिंताएं चेतन को जलाती हैं और
चिन्तन राग ,द्वेष को ,मन के विकारों को ! चिंताओं के घेरे में आत्मा अनुपलब्ध रह
जाता है और चिन्तन से होती है आत्मतत्व की उपलब्धि !
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