मेरा अनुभव
इस चातुर्मास में परम पूज्य
गुरुदेव दिगंबर जैनाचार्य श्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव एवं संघ की दया दृष्टि रोहतक
नगरी पर बरसी ! सभी धर्मानुरागी श्रावक श्राविकाओं के मन में ढोल मंझीरे बज उठे !
भक्ति की धुन सवार हो गयी !
गुरुदेव के आशीर्वाद से एक
के बाद एक रंगारंग कार्यक्रम होने लगे ! स्थापना दिवस पर गुरुदेव जी ने अपने हाथों
से सभी भक्त जनों को रक्षा मन्त्र एवं रक्षा सूत्र प्रदान किये ! हमें गुरुदेव की
अमृतवाणी से ज्ञानमयी एवं हृदयस्पर्शी प्रवचन सुनने का सौभाग्यदायी अवसर प्राप्त
हुआ ! धन्यकुमार चरित्र एवं गोमटेश बाहुबली जी के अभिषेक का अति सुन्दर दृष्टांत
तो मन को ही छू गया ! सोलह्कारण पर्व में “तीर्थंकर कैसे बनें” शीर्षक से प्रवचन
विशेष कृपाकारी रहे !
गुरुदेव के सानिद्ध्य में
दसलक्षण महापर्व जोर शोर से मनाया गया ! जैन जति जी में तो जैसे चार चाँद ही लग गए
! गुरुदेव ने दसलक्षण महाविधान में दस धर्मों के बारे में बताया !
श्री रत्नत्रय शार्वक
संस्कार शिविर तो जैसे मन मस्तिषक का दीप ही प्रज्वलित कर गया ! मैंने तो गुरुओं
द्वारा मनाया गया क्षमावाणी पर्व पहली बार ही देखा ! इसी तरह दसलक्षण पर्व धूम धाम
से संपन्न हुआ !
जसी तेजस्वी आचार्य
गुप्तिनंदी जी हैं वैसे ही समस्त संघ ...
मुनिश्री महिमासागर की तो
महिमा ही न्यारी
एक दिन छोड़ कर दो उपवास धारी
!
मुनिश्री सुयशगुप्त जो जो
कराते
मन्त्र जाप न्यारे न्यारे !
मुनिश्री चन्द्रगुप्त जी जो
हंसमुख एवं
जिनकी है मधुर वाणी !
आर्यिका आस्था श्री जी
जो रहती हर क्षण तैयार
फिर चाहे कोई भी कार्यक्रम
हो
या बालक बालिकाओं को प्रेरित
करना !
धन्य्श्री माताजी जिन्होंने
ऐसे गुरुवर देकर हमें धन्य ही कर दिया !
गुरुवर का ऐसा ही पावन
आशीर्वाद हमें मिलता रहे यही भावना है !
सभी को सादर जय जिनेंन्द्र
शुभा जैन 23 वर्ष
रेलवे रोड ,रोहतक
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