जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार !
महावीर जन्म कल्याणक
के शुभ अवसर पर कल पूर्व संध्या पर हर वर्ष की भान्ति भगवान महावीर पार्क मे वर्धमान
जैन कीर्तन मंडल द्वारा भजन संध्या का
आयोजन किया गया ! आज दिनांक 24.04.2013
को धूमधाम से शोभा यात्रा व
पालकी निकाली गयी जो शहर के विभिन्न प्रमुख मार्गों से होती हुई दिगम्बर जैन
मन्दिर जी ,सराय मोहल्ला ,रोहतक पर धर्म सभा के रूप मे परिवर्तित हो गयी जहाँ
मुनिश्री प्रकर्ष सागर जी के सानिध्य मे प्रभु का 108 कलशों
से अभिषेक व शान्ति धारा की गयी ! इस शुभ अवसर पर मुनिश्री प्रकर्ष सागर जी का
पावन प्रवचन भी सुनने को मिला ! शाम को भगवान महवीर के जीवन पर आधारित कार्यक्रम,जैन जतीजी ,झज्जर रोड ,रोहतक पर सांस्कृतिक कार्यक्रम
दिखाए जायेंगे !
मुनिश्री ने अपने
प्रवचन मे कहा कि आज महावीर का जन्म दिवस ही नहीं वरन “पिता सिद्धार्थ” व “माता
त्रिशला” का भी जन्म दिवस है ! उन्होंने कहा कि जब तक दंपत्ति सन्तान की प्राप्ति
नहीं करते हैं तब तक व दंपत्ति ही रहते हैं ,माता पिता कहलाने के अधिकारी नहीं
होते इसीलिए महावीर के जन्म के बाद ही पिता और माता का जन्म होता है ! इसीलिए हमें
महान आत्माओं के साथ साथ उनके माता पिता के उपकार को नहीं भूल जाना चाहिए ! इसी प्रकार हमें अपने माता पिता का भी हम पर
किया उपकार नहीं भूलना चाहिए !
मुनिश्री ने कहा कि हमें
मन्दिर अपने आप को परमात्मा बनाने के लिए जाना चाहिए ! पूजा ,पाठ ,भक्ति स्तुति
आदि परमात्मा बनने के मार्ग मे साधन जरूर बन सकते हैं ! लेकिन अंतिम मंजिल मोक्ष
का पाना ही है ! उन्होंने कहा कि प्रभु जैसा बनने के लिए जरूरत है हमें अपने अंदर
प्यास पैदा करने की !
यहाँ मै बता देना
चाहूँगा कि जैन दर्शन सभी आत्माओं मे परमात्मा बनने कि शक्ति मानता है ,बस जरूरत
है उसे प्रकट करने की ! अभिषेक व मुनिश्री की प्रवचन करते हुए फोटोएं संलग्न हैं !
मुनिश्री प्रकर्ष
सागर जी आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी की शिष्य परंपरा के अनमोल रत्न हैं जिनके दर्शन
रोहतक वासियों को लगभग आठ वर्षों के बाद प्राप्त हुए !