जय जिनेन्द्र दोस्तों !
भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
चंचलता व्यक्ति को बाह्य जगत
की और खींचती है ! चंचलता कम होती है तो एक नए वातावरण में जीने का अवसर मिलता है
! शरीर , वाणी और मन की चंचलता समाप्त हो जाए तो एक नयी दृष्टि ,एक नया दृष्टिकोण
,एक नयी दुनिया और जीवन में एक नयी दिशा का पदार्पण होता है !
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