जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों
और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात:
!
भगवान न किसी को कुछ देते हैं ,न ही कुछ छीनते हैं ! न किसी का बुरा करते हैं ,न ही भला ! सब कुछ पूर्वकृत कर्मों का फल है जो हमें भोगना ही पड़ता है ! भगवन की भक्ति से आगे के लिए शुभ कर्मों का बंध होता है ,मनोबल बढ़ता है व कठिन परिस्थितियों से जूझने की क्षमता का विकास हो जाता है !
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