जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों
और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात:
!
जैन दर्शन कहता है कि सँसार की
कोई भी आत्मा ,चाहे वह अपनी वर्तमान दशा में कितने भी नीचे स्तर पर क्यों न हो ,
भूलकर भी उससे घृणा व द्वेष नही करना चाहिए ! प्रत्येक आत्मा में अनन्त अक्षय
गुणों का भण्डार छिपा हुआ है जिसका कभी न अन्त हुआ है न होगा , बस जरूरत है आत्मा
में परमात्म भाव को प्रकट करने का ! जीवन की गति व प्रगति को रोकना नही है ,बल्कि
उसे अशुभ से शुभ की ओर व शुभ से शुद्ध की ओर मोड देना है !
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