मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........
जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !
जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!
सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !
कोई कापीराइट नहीं ..........
Sunday, 30 March 2014
Tuesday, 25 March 2014
आपका एकमात्र सहज मित्र- साहस !
जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या !
संकट
के समय में सहारे के लिए कितने ही हाथ फैलाइए , कोई सहारा देने वाला नही है !
सहारा देने वाला है आपका एकमात्र सहज
मित्र- साहस !कितनी ही भयंकर स्थिति क्यों न हो , मृत्यु के क्षण भी निकट क्यों न
प्रतीत हो रहे हों ,आप साहस मत छोडिये ! अपनी सहायता आप स्वयं करते जायेंगे तो कोई
न कोई सहारा आपको मिल ही जाएगा और आप संकट के गर्त से निकल पायेंगे !
Wednesday, 19 March 2014
भक्ति
जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
हर क्षण अपने प्रभु के साथ रहो ,उसे अपने मन में विराजित रखो ,उसकी पुण्य स्मृति में रहो ! जब भी और जो भी निज या पर हित की दृष्टि से कार्य करना हो , अपने आराध्य देव का स्मरण करते हुए करो ! सही और यथार्थ भक्ति तो अपने आराध्य देव से एकाकार हो जाने में है , किसी भी सुख दुःख की स्थिति में उससे अलग न होना !
Thursday, 13 March 2014
Monday, 10 March 2014
बल
जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
श्रेष्ठता
बल के होने में नही है ! श्रेष्ठता है बल का जनहित में प्रयोग ,सदुपयोग करने में !
किसी को बहती नदी में डुबो देने के लिए फैंक देने में क्या गौरव है ? गौरव है
तूफानी नदी में डूबते हुए किसी को बचा लेने में ! अपने बल की मार से किसी को
रुलाया तो क्या ? मजा तो तब है जब किसी
रोते हुए को हंसा सके आप !
Sunday, 9 March 2014
गुण ग्रहण का भाव रहे बस दृष्टि न दोषों पर जाए ....
जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
सामान्य
मनुष्यों की बात नही , मनुष्य के दोष दर्शन की दृष्टि ने ईश्वर एवं भगवान कहे जाने
वाले महापुरुषों के कार्य की समीक्षा करते हुए उनमे भी दोष ढूँढ लिए हैं ! सँसार में कोई भी बात या स्थिति ऐसी नही है जो
सर्वथा निर्दोष हो या सर्वथा गुणरहित हो ! मित्रता के व्यवहार से हम अपने
प्रतिपक्षी विरोधियों को भी अपना अनुकूल मित्र बना सकते हैं !
Saturday, 8 March 2014
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
आज
हम सब एक दुसरे को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई दे रहे हैं ! क्या है ये ?
आज इस दिवस को मनाये जाते हुए लगभग सौ वर्ष हो चुके हैं लेकिन क्या हम सच्चे ह्रदय
से ये मान सकते हैं की हम महिलाओं को वो समुचित सम्मान व स्नेह देते हैं जिसकी वे
हकदार हैं ? अपने आसपास ही देखता हूँ तो पाता हूँ कि ऐसा नही है ! आज भी हम
महिलाओं को एक भोग की वस्तु से अधिक शायद नही समझ रहे ! एक खिलौना मात्र बस ! वरना
फेसबुक जैसी नेट्वर्किंग साईट पर क्या एक
सम्मानीय बहन की निजी प्रोफाइल फोटो पर ऐसी खतरनाक शायरी पोस्ट करेगें ?
आप
की इस दिल्लगी पर हम अपना दिल खो बेठे
कल
तक उस खुदा के थे आज हम आपके हो बेठे
इश्क
सुना तो था कि अपना दीवाना बना लेता है
पर
आज खुद करके हम भी अपना होश खो बेठे !
आये
दिन देखता हूँ कोई ना कोई व्यक्ति यहाँ किसी
महिला को तंग करता हुआ और अपने जाल में उलझाने की कोशिश करता हुआ सा दिखाई देता है
! बेवजह उटपटांग सन्देश करके महिलाओं को तंग करना ऐसे लोगों की आदत बन गयी है ! मुझे
ये सब इसीलिए दिखाई दे ही जाता है कि अपने काम करते हुए साथ साथ मेरा काफी समय इंटरनेट पर गुजरता है ! जरा
अपने अंदर हम झाँक कर देखें और फिर मनाएं महिला दिवस !
इतिहास
महिला दिवस का ......
अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आवाहन,
यह दिवस सबसे पहले सबसे पहले यह 28 फरवरी 1909 में मनाया गया। इसके बाद यह फरवरी के आखरी इतवार के दिन मनाया जाने लगा। 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन के सम्मेलन में इसे अन्तरराष्ट्रीय
दर्जा दिया गया। उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिलवाना
था क्योंकि, उस समय अधिकर देशों में महिला को वोट देने का
अधिकार नहीं था।
1917 में रुस की महिलाओं ने, महिला
दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया। यह हड़ताल भी
ऐतिहासिक थी। ज़ार ने सत्ता छोड़ी, अन्तरिम सरकार ने महिलाओं
को वोट देने के अधिकार दिये। उस समय रुस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी
दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनो की तारीखों में कुछ अन्तर है। जुलियन
कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखरी इतवार 23 फरवरी को था जब की ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। इस समय पूरी दुनिया में (यहां तक रूस में भी) ग्रेगेरियन
कैलैंडर चलता है। इसी लिये 8 मार्च, महिला
दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। (as read from Wikipedia )
Friday, 7 March 2014
Wednesday, 5 March 2014
Tuesday, 4 March 2014
हास्य
जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
अच्छा
हास्य वही है जिस पर आमने सामने के दोनों
मुखकमल खिल उठें ! दोनों और ही नही आसपास में भी दूर दूर तक वाह – वाह के कहकहे गूंज उठें ! यह कहकहे देश और काल की
सीमाओं को लांघते हुए हजारों हजार मीलों व हजारों हजार वर्षों को पार करते चले जाएँ
!
कर्म
जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
तुम
साफ़ दिल से जो भी विश्व मंगल के लिए कार्य करना चाह्ते हो ,शान के साथ करते चले
जाओ ! मत लजाओ किसी से , मत भय खाओ किसी से ! दुसरे क्या कहते हैं ये नही सुनना है
, आपका मन क्या कहता है यही काफी है ! हर युग में कृष्ण जीते हैं ,कंस हारा है !
द्रोपदी की विजय हुई है ,दु:शासन हारता रहा है !
Saturday, 1 March 2014
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