मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........
जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !
जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!
सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !
कोई कापीराइट नहीं ..........
Friday, 26 July 2013
Thursday, 25 July 2013
Monday, 22 July 2013
Sunday, 21 July 2013
Saturday, 20 July 2013
woman
जय जिनेन्द्र
बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार !शुभ संध्या !
Love and respect woman. Look to her not only for comfort, but
for strength and inspiration and the doubling of your intellectual and moral
powers. Blot out from your mind any idea of superiority; you have none.
Tuesday, 16 July 2013
आचार्य श्री विद्यासागर जी की लिखी काव्य संग्रह “मूक माटी”
जय जिनेन्द्र
बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार !शुभ संध्या !
बंधुओं !
मित्रों ! भाइयों और बहनों ! आचार्य श्री विद्यासागर जी की लिखी काव्य संग्रह “मूक
माटी” को पढकर मेरे जीवन को एक नयी दिशा व दशा प्राप्त हुई है ! समय के अभाव में
आप सब से ज्यादा कुछ सांझा नही कर पाया !
पुस्तक का एक - एक शब्द अपने आप में एक अहसास है ! इस पुस्तक को एक बार फिर से
पढ़ने की इच्छा हुई है लेकिन एक और ग्रन्थ “श्री कार्तिकेय अनुप्रेक्षा” भी साथ साथ
पढ़ रहा था सो उसी से कुछ आप सब से साँझा करूँगा आने वाले दिनों में !
सत्य का आत्म समर्पण
और वह भी
असत्य के सामने ?
हे भगवन ! यह कैसा काल आ गया
क्या असत्य शासक बनेगा अब ?
हाय रे ..जौहरी के हाट में
आज हीरक हार की हार !
हाय रे ....कांच की चकाचौंध में
मरी जा रही
हीरे की जगमगाहट
अब
सती अनुचरी ही चलेगी
व्याभिचारिणी के पीछे - पीछे ?
असत्य की दृष्टि में
सत्य असत्य हो सकता है
और
असत्य सत्य हो सकता है
परन्तु सत्य को भी नहीं रहा क्या
सत्यासत्य का विवेक
सत्य को भी अपने ऊपर
विश्वास नहीं रहा ?
भीड़ की पीठ पर बैठकर
क्या सत्य की यात्रा होगी अब ?
नही ........नही ..कभी नही
आचार्य
श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज “मूक माटी” में
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