जय जिनेन्द्र
बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार !शुभ मध्यान्ह !
ज्ञान जितना
उज्जवल होगा ,ध्यान भी उसी कोटि का होगा ! ध्यान से संवर पूर्वक निर्जरा होती है
और निर्जरा से मोक्ष की सिद्धि होती है ! व्यक्ति ज्ञानी बन सकता है परन्तु ध्यानी
बनने के लिए बाह्य क्रियाओं का निरोध करना ही होगा !
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