जय जिनेन्द्र बंधुओं
! प्रणाम ! नमस्कार !शुभ संध्या !
स्व स्त्री हो या पर
स्त्री
किसी पक्ष से चिपकी
नहीं रहती वह
अन्यथा
मातृभूमि मातृपक्ष को
त्यागपत्र देना खेल
है क्या ?
और वह भी
बिना संक्लेश , बिना
आयास
यह पुरुष समाज के लिए
टेढ़ी खीर है
नहीं
त्रिकाल असंभव कार्य
है
इसीलिए भूलकर भी
कूल परम्परा संस्कृति
का सूत्रधार
स्त्री को नहीं बनाना
चाहिए
और गोपनीय कार्य के
विषय में
विचार विमर्श भूमिका
नहीं बताना चाहिए !
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज “मूक
माटी” में
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