मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........
जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !
जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!
सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !
कोई कापीराइट नहीं ..........
Sunday, 31 March 2013
Saturday, 30 March 2013
कर्म फल
जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार
आत्मा ने पिछले जन्म
मे जो कर्म स्वयं किये हैं ,उनका ही शुभ अथवा अशुभ फल मिलता है ! यदि कोई दूसरा
सुख दुःख देता होता तो अपने किये हुए कर्म व्यर्थ हो जाते ! अपने किये हुए कर्मों
को छोड़कर किसी भी प्राणी को कोई भी सुख दुःख नहीं देता ऐसा विचार कर पर से मन को
हटा कर “दूसरा देता है” इस मिथ्या मान्यता को छोड़ दो ! वास्तव मे पर पदार्थ न मेरे
थे और न कभी होंगें !
Friday, 29 March 2013
आत्मा
जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार
जो सदा ध्रुव है ,सत् है
,अविनाशी है ,ज्ञान रूप है ,उसे ही जानो मानो ,उसी मे लीन हो जाओ ! अनन्त काल हो
गया व्यर्थ कि भाग दौड मे ,अब विराम लो ! स्व स्वभाव मे लौटो ,जो आनन्द धन है ,वह
अपूर्व है और अजन्मा है ! दूसरों के लिए आकुलता करके अपना स्वास्थय व चैन अब खराब
मत करो ! जीवन अमूल्य है ,आयु प्रति समय बीत रही है ,शीघ्र आत्म कल्याण करो !
Thursday, 28 March 2013
Tuesday, 26 March 2013
होली
जय जिनेन्द्र मित्रों
......प्रणाम
यह
मिट्टी की चतुराई है,
रूप अलग औ’ रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,
आजादी है जिसको चाहो आज उसे वर लो।
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर को!
निकट हुए तो बनो निकटतर
और निकटतम भी जाओ,
रूढ़ि-रीति के और नीति के
शासन से मत घबराओ,
आज नहीं बरजेगा कोई, मनचाही कर लो।
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो!
प्रेम चिरंतन मूल जगत का,
वैर-घृणा भूलें क्षण की,
भूल-चूक लेनी-देनी में
सदा सफलता जीवन की,
जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो।
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर लो,
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो,
भूल शूल से भरे वर्ष के वैर-विरोधों को,
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!
-- हरिवंशराय बच्चन
रूप अलग औ’ रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,
आजादी है जिसको चाहो आज उसे वर लो।
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर को!
निकट हुए तो बनो निकटतर
और निकटतम भी जाओ,
रूढ़ि-रीति के और नीति के
शासन से मत घबराओ,
आज नहीं बरजेगा कोई, मनचाही कर लो।
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो!
प्रेम चिरंतन मूल जगत का,
वैर-घृणा भूलें क्षण की,
भूल-चूक लेनी-देनी में
सदा सफलता जीवन की,
जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो।
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर लो,
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो,
भूल शूल से भरे वर्ष के वैर-विरोधों को,
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!
-- हरिवंशराय बच्चन
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