जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! शुभ प्रात:
जिस समय व जितना मुझे
सुख दुःख लाभ अलाभ होना है ,उस समय वह अवश्य होगा ! यह निश्चित है ,मेरा सुख दुःख
मेरे परिणाम व कर्म के द्वारा होगा – यह अटल सिद्धान्त है अत: मै अपने परिणामों से
की सम्पदा को संभाल सदा जागरूक रहूँ !
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