मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday, 30 March 2013

कर्म फल


जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार
आत्मा ने पिछले जन्म मे जो कर्म स्वयं किये हैं ,उनका ही शुभ अथवा अशुभ फल मिलता है ! यदि कोई दूसरा सुख दुःख देता होता तो अपने किये हुए कर्म व्यर्थ हो जाते ! अपने किये हुए कर्मों को छोड़कर किसी भी प्राणी को कोई भी सुख दुःख नहीं देता ऐसा विचार कर पर से मन को हटा कर “दूसरा देता है” इस मिथ्या मान्यता को छोड़ दो ! वास्तव मे पर पदार्थ न मेरे थे और न कभी होंगें !

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