जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! शुभ संध्या !
जैसे ही कल आचार्य
श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी के समाधि मरण का समाचार आया ,सम्पूर्ण जैन व
जैनेत्तर समाज मे शोक की लहर दौड़ गयी ! हजारों की संख्या मे भक्तगण उसी समय समाधि
स्थल शकुरपुर ,दिल्ली की ओर बढ़ गये !
दिल्ली मे विराजमान विभिन्न जैनाचार्यों व धर्माचार्यों ने वहाँ उपस्थित होकर
उन्हें भाव भीनी श्रद्धांजलि दी !
उनके पार्थिव शरीर को
अंतिम दर्शन के लिए कल ही बडागांव(जिला बागपत)
ले जाया गया जहाँ आज सुबह हजारों की संख्या मे भक्तों ने उनके अंतिम दर्शन
किये व अंतिम यात्रा मे सम्मिलित हुए !
मुझे व्यक्तिगत रूप
से उनके दर्शन कई बार बडागांव , दिल्ली व आसपास के क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों मे करने का सुअवसर
प्राप्त हुआ ! उनकी शांत , सौम्य परम दिगम्बर मुद्रा नैनों मे इस कदर समा गयी है कि अब इस जीवन मे उनकी चिर परिचित
मुस्कराहट की कमी हमेशा मुझे खलती रहेगी !
हर व्यक्ति नियति के
हाथों मजबूर है , त्रिलोक तीर्थ के जन्म दाता अपनी विश्व की अनूठी रचना को पूरा
करते करते जब अंतिम पड़ाव पर थे और अप्रैल मे होने वाले भव्य पंचकल्याणक की
तैय्यारी जोरों शोरों से चल रही थी तब विधि के विधान के हाथों मजबूर आचार्य श्री
को सामयिक काल मे ही समाधि मरण प्राप्त हो गया ! जैन दर्शन मे समाधि मरण का विशेष
महत्व बताया गया है !
मेरा मन बहुत भारी था
, मौन रहते हुए भी जैसे अंदर ही अंदर वो यादें आँखों के सामने आ जाती थी जब जब भी
मैंने आचार्यश्री के दर्शन किये ! हर आंख नम थी , हर चेहरे पर उदासी थी ,हजारों की
संख्या मे उपस्थित लोगों की भीड़ मे उनके पार्थिव शरीर को नमोकार मन्त्र की दिव्य
ध्वनि के साथ अग्नि को समर्पित करके पंच तत्व मे विलीन कर दिया गया ! हे ईश्वर !
हे चौबीसों भगवान ! ऐसी निर्मल दिव्य समाधि मुझे भी प्राप्त हो !
आचार्य विद्याभुष्ण
सन्मति सागर जी हम सबके बीच नहीं रहे ! उनका जीवन और उनकी शिक्षा हमारे साथ हमेशा
रहेंगी ! जितना हम उनके आदर्शों व शिक्षाओं को अपने जीवन मे उतार पाए उतना हमारा
जीवन सार्थक हो जाएगा !
उनकी याद मे एक
श्रद्धांजलि सभा दिनांक 16.3.2013 को दिगम्बर जैन मन्दिर जी, सराय मोहल्ला , रोहतक मे शाम 7.30 बजे से आयोजित की गयी है ! आप सब से प्रार्थना है कि सभा मे उपस्थित होकर
अपना जीवन धन्य करें !
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