जय जिनेन्द्र बंधुओं
! प्रणाम ! शुभ प्रात: !
ताब मंजिल रास्ते मे
, मंजिलें थी सैंकडों
हर कदम पर एक मंजिल
थी ,मगर मंजिल न थी !
On the way to destination there were
hundreds of destinations . There was a
destination at every step but there was no destination.
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