जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !
जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!
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कोई कापीराइट नहीं ..........
Sunday, 31 March 2013
हँसना
जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार
सबसे कठिन कार्य है “अपने” पर हँसना ! उससे भी कठिन
कार्य है “अपनों” पर हँसना ! उससे भी
कुछ ज्यादा कठिन है “अपनों” द्वारा
हँसी मे कही गयी बात को हँस कर आत्मावलोकन करना !
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