मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Friday, 17 August 2012

एक शाम राष्ट्र के नाम 15 अगस्त 2012


एक शाम राष्ट्र के नाम 15 अगस्त 2012
मित्रों जय जिनेन्द्र जय हिंद .........भारत माता की जय
कल  शाम रोहतक में जैन जती जी में स्वतंत्रता दिवस की पावन संध्या को “आचार्य श्री गुप्तिनंदी जी ससंघ  के सानिध्य में “एक शाम राष्ट्र के नाम” की गयी जिसमे समाज के भिन्न भिन्न आयु के व्यक्तियों व बहनों व बच्चों द्वारा राष्ट्र को नमन वंदन किया गया ! इस पुनीत अवसर पर  मेरे  द्वारा  पढ़ी गयी  एक कविता .......शब्द कवि श्री “राम अवतार त्यागी” जी के हैं ..... ..........

मन समर्पित , तन समर्पित
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ ........

माँ तुम्हारा ऋण बहुत है ,मै आकिंचन
किन्तु इतना कर रहा फिर भी निवेदन
थाल में लाऊं सजा कर भाल जब भी
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण
गान अर्पित ,प्राण अर्पित
रक्त का कण कण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती ,तुझे कुछ और भी दूँ ......

मांज दो तलवार को ,लाओ न देरी
बाँध दो कास कर कमर पर ढाल मेरी
भाल पर मल दो चरण की धुल थोड़ी
शीश पर आशीष की छाया घनेरी
स्वपन अर्पित , प्रश्न अर्पित
आयु का क्षण क्षण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती ,तुझे कुछ और भी दूँ ..........

तोड़ता हूँ मोह का बंधन ,क्षमा दो
गाँव मेरे ,द्वार ,घर , आँगन क्षमा दो
आज सीधे हाथ में तलवार दे दो
और बाएं हाथ में ध्वज को थमा दो
यह सुमन लो , यह चमन लो
नीड़ का त्रण त्रण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती ,तुझे कुछ और भी दूँ ............
रचना : श्री राम अवतार त्यागी

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