शरणागत की शरणा .......
पुंडरिकीनी नगर के राजा धनरथ के दो रानियों प्रियामती व
मनोरमा से दो पुत्र थे जिनका नाम क्रमश: मेघरथ व द्रडरथ था ! समय बीतने के साथ
राजा धनरथ ने संयम को धारण किया व अपने ज्येष्ठ पुत्र मेघरथ को राज्य का भार सौंपकर वन में विहार कर गये !
राजा मेघरथ बहुत न्यायप्रिय
व प्रजा वत्सल थे ! उनकी ऋद्धि सिद्धि का कोई पार नहीं था ! देवांगनाओं के समान
सर्वांग सुन्दर रानियाँ उनके अन्त:पुर में थी ! परन्तु उन्हें न तो राज्य का मोह
था न ही रानियों पर और न ही सँसार के राग रंग पर !
मेघ रथ की राज्य सभा धर्मसभा
कहलाई जाती थी ! वहाँ नित्य पुण्य पाप के भेद खोले जाते ! कर्मों के सम्बन्ध में
विचार होता और पूर्व जन्म के संस्कारों की अनिवार्यता बतलाई जाती !
एक समय जब राजा और दरबारी
धर्म चर्चा में लगे थे तब एक
कबूतर फडफडाता हुआ जैसे की यह कह रहा हो ‘मेरी रक्षा करो ,मेरी रक्षा करो’ करता हुआ
राजा मेघरथ की गोद में आकर गिरा !
राजा कुछ सोच पाता उससे पहले ही
धडधडाता हुआ सा एक बाज राजा के सामने आकर उपस्थित हो गया और बोला –राजन ! यह कबूतर
मुझे दे दे !यह मेरा भक्ष्य है ,मै बहुत भूखा हूँ !
भय से कांपता हुआ कबूतर बोला
–राजन !मुझे बचाओ ,मै आपकी शरण में आया हूँ ! राजा सीधा खड़ा हुआ ! बाज को संबोधित करते हुए कहा –पक्षीराज ! मै क्षत्रिय हूँ ! तुम्हे
भोजन के लिए जो वस्तु चाहिये ,घेवर ,लड्डू इत्यादि वह मै उपलब्ध कराने को तैयार
हूँ लेकिन यह कबूतर मै तुम्हे नहीं दे सकता !
राजन ! मै वनवासी हूँ ! मेरा
भोजन तो मांस है और वह भी जो मै खुद शिकार करूँ य मेरे सामने मुझे काट कर दिया जाए
,वही मांस मुझे चाहिए !
राजा ने कहा –अति उत्तम ! मै
तुम्हे कबूतर के भार के बराबर वजन तोल कर अपना मांस तुम्हे दूँ तो पर्याप्त रहेगा ना ?
अवश्य चलेगा !परन्तु हे
मुग्ध नृप –एक पक्षी के लिए तु हजारों का जन पालक ,तु अपने जीवन को दांव पर क्यों
लगाता है ?
पक्षिराज –यह जीवन किसका
शाश्वत रहा है ? आज नहीं तो कल यह देह तो चली ही जायेगी !मै मानव जीवन में शरणागत
का घातक कहलाऊं ,यह मुझे कदापि मंजूर नहीं ! शरणागत के लिए मेरा जीवन जाता है तो
चला जाए इस पर मुझे कोई दुविधा नहीं !
राजा ने सेवकों को आज्ञा दी
और तराजू मंगवाया ! एक पलड़े में कांपता हुआ कबूतर रखा और दुसरे में अपनी जांघ काट
कर मांस के टुकड़े रखे !
समस्त परिवार जन व उपस्थित
जन रो पड़े और राजा को कहा –राजन ! आप तनिक तो विचार कीजिये ! आपके द्वारा हजारों
का पालन होता है ! आप एक कबूतर को बचाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान करोगे तब
हमारे जैसे हजारों लोग बर्बाद हो जायेगें !
आप घबराएं नहीं और मुझे अपने
पथ से भ्रष्ट न करें ! जो व्यक्ति शरण में आये हुए एक कबूतर की रक्षा नहीं कर सकता
वह हजारों मनुष्यों की रक्षा कैसे करेगा ? राजा ने दृढ़ता से कहा !
राजन ! तत्व चर्चा छोडो ,भूख
से मेरे प्राण पखेरू उड़ने को हैं , जल्दी
से मुझे कबूतर के वजन के बराबर मांस दो –बाज ने गंभीरता से कहा !
राजा ने तीव्रता से चाक़ू
चलाया और दूसरी जांघ काट कर मांस पलड़े में रख दिया ! आश्चर्य कि पलड़ा फिर भी झुका
ही नहीं ! राजा बगैर कुछ सोचे अधिक विचार न करते हुए तुरंत खुद पलड़े में जाकर बैठ
गया ! उसके मुख पर तो केवल एक ही बात थी कि शरणागत की रक्षा के लिए मेरे प्राणों
की कोई कीमत नहीं !
बाज बोला –राजन !मुझे तेरी
यह देह नहीं चहिये ! मुझे तेरे को व राज्य को बर्बाद नही करना है !मै तो मांग रहा
हूँ बस यह कबूतर ,कृपया इसे मुझे सौंप दें ! यदि यह तेरे पास नहीं आया होता तब भी
तो मै इसे मार कर अपना शिकार बनाता ही न ?
राजा ने कहा –विहंग राज ! इस
नश्वर देह से इस कबूतर की रक्षा होती है तो तुम इस देह को काट कर मुझ पर उपकार
करो और इस कबूतर को जीवन दान दो !
इतने में ही आकाश से पुष्प
वृष्टि होने लगी व सारा वातावरण राजा मेघ रथ की जय के नारे से गुंजायमान हो गया !
राजा की सभा में आकर एक देव ने उपस्थित होकर कहा ! राजन धन्य हैं आप और धन्य है
आपकी न्याय प्रियता और प्रजा वत्सल भाव !
एक राजा मेघ रथ थे जो एक कबूतर
की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने को तैयार हो गये थे और आज हम अपने
सार्वजनिक जीवन में देखते हैं तो जो हमारे पालन कर्ता हैं सरकार में मंत्री हैं
वही आज कत्लखाने खोल रहे हैं और निरीह ,मूक और निर्दोष प्राणियों का वध कर रहे हैं
! ये शर्मनाक कृत्य करने वालों को इतिहास कभी क्षमा नहीं करेगा !
आज हमारी सरकार मकडोनालड जैसी विदेशी कंपनियों को बढ़ावा दे रही है जो
भोले भाले और शाकाहारी मनुष्यों को भी तरह तरह के विज्ञापन दिखाकर मांसाहार की ओर
आकर्षित कर रहे हैं ! राष्ट्रीय कार्यक्रमों में अंडे का विज्ञापन धडल्ले से
दिखाया जा रहा है ! यह बहुत शर्मनाक है ! अगर शाकाहारी समाज अभी नहीं जागा तो वह
दिन दूर नहीं जब हमारी आने वाली पीढियां शाकाहार को भूल जायेंगी और फिर हमारे पास
पछतावे के अलावा और कुछ नहीं बचेगा !
No comments:
Post a Comment