जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !
जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!
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कोई कापीराइट नहीं ..........
Sunday, 20 January 2013
सत्य
जय जिनेन्द्र बंधुओं ..शुभ
प्रात: प्रणाम
जिस जीवन में सत्य के संस्कार होते हैं ,वह जीवन बट वृक्ष की
भान्ति फलता फूलता रहता है !सत्य
को जानना एक बात है और उसे जीना एक बात है ! जानने मात्र से सत्यजिया नहीं जाता और जीने मात्र से वह जाना नहीं
जाता !
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