हम यही कामना/भावना/मांग करते
हैं कि शासन ,प्रशासन यह सुनिश्चित करे इस तरह की घटना कि पुनरावृत्ति कभी भी किसी
भी स्थिति में न हो !
आचार्य श्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव
आचार्य श्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव
जैन सभा (रजिस्टर्ड) रोहतक
की एक सभा आचार्य श्री गुप्तिनंदी जी के सानिध्य में अध्यक्ष श्री राजेश जैन (M . D LPS Bossard Ltd ) की अध्यक्षता व महामंत्री
श्री मनोज जैन के तत्वावधान में कल शाम दिनांक 3.01.2013 सात
बजे शाम जैन जतीजी ,झज्जर रोड ,रोहतक में हुई ! इस सभा में शहर की विभिन्न
संस्थाओं के पदाधिकारियों द्वारा मुनिश्री प्रबल सागर जी पर गिरनार जी
सिद्धक्षेत्र पर हुए जानलेवा हमले की कड़े
शब्दों में निंदा ,आलोचना व भर्त्सना की गयी ! सभा में शासन व प्रशासन को विभिन्न
स्तरों पर अपने विरोध पत्र व ज्ञापन भेजने पर प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया
! शासन से कड़े शब्दों में सर्व धर्म के मुनि साधुओं की रक्षा सुरक्षा की मांग की
गयी व इस तरह की घटना की पुनरावृति न होने देने की मांग की गयी व मुनिश्री के जल्द
स्वास्थय लाभ होने के लिए प्रार्थना की गयी !
व्यक्तिगत स्तर पर मै घटना के
कारणों पर विचार करता हूँ तो मानता हूँ कि शासन तो पूरी तरह से जिम्मेवार है ही
,जिसके द्वारा कि गिरनार जी जैसे
सिद्धक्षेत्र तीर्थ पर पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध नहीं की जा रही जबकि ये शासन का नैतिक
दायित्व बनता ही है ,जिस तीर्थ पर सैंकडों की संख्या में श्रद्धालु वन्दन करते हैं
,वहाँ पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाय ,लेकिन साथ में हम श्रावक ,श्राविकाओं का नैतिक दायित्व व कर्तव्य भी बनता है कि अपने मुनियों व साधुओं के साथ
पर्याप्त संख्या में तीर्थ वन्दन व पद विहार में उनके साथ रहें ताकि इस तरह
की घटना की पुनरावृत्ति न हो सके !
शायद
अगर मुनिश्री के साथ में अगर पर्याप्त
संख्या में श्रावक होते तो ऐसी घटना की संभावना ही नहीं होती !
यहाँ एक बात और स्पष्ट कर
देना चाहता हूँ कि मुनिश्री प्रबल सागर की दीक्षा ,उनके दीक्षा गुरु आचार्य श्री
पुष्पदंत सागर जी के आदेश से छेदन कर दी गयी है व उन्ही के आदेश से ही कहा गया है
कि उन्हें हास्पिटल में प्रवेश दिलवा कर स्वास्थय लाभ किया जाए ! मुनिश्री को
दोबारा मुनि दीक्षा उनके पूर्णतया स्वस्थ होने पर पुन: दे दी जायेगी !
अन्त में सम्पूर्ण जैन समाज
से व्यक्तिगत स्तर पर यह कहना चाहूँगा कि शान्ति बनाए रखें व गिरनार जी हमारा शाश्वत तीर्थ है ,सिद्धक्षेत्र
है ! इसकी रक्षा सुरक्षा और मुनि साधुओं की रक्षा सुरक्षा के लिए तन मन धन से लग
जाए !
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