जय जिनेन्द्र बंधुओं ....शुभ
प्रात: प्रणाम
रूप ,जाति, धन, विद्या और पद
तो मनुष्य का बाह्य रूप है ,इनके गर्व से दीप्त हो अपने से छोटे का अपमान करना
,स्वयं अपमान करने वाले की मूर्खता का उद्घोष
करता है ! रंग रूप के आधार पर उंच नीच की कल्पना –मनुष्य के अज्ञान का प्रतीक है ! जाति के आधार पर गौरव और बडप्पन की
भावना –मिथ्या अहंकार की सूचक है !
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