मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Wednesday, 16 January 2013

क्षमा


 
जय जिनेन्द्र बंधुओं ....प्रणाम शुभ प्रात:
क्षमा करना भी एक कला है ,एक अद्भुत विजय है ! गर्म लोहा ठन्डे 
लोहे से कटता है ,क्रोध शान्ति से पराजित होता है ,भय अभय से 
जीता जाता है !सँसार में विजय उसी की होती है जो क्षमा करना 
जानता है ! जिसे सहन करना आता है वह सर्वत्र सिंह की तरह निर्भय रहता है !

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