जय जिनेन्द्र बंधुओं ....प्रणाम
शुभ प्रात:
क्षमा करना भी एक कला है ,एक
अद्भुत विजय है ! गर्म लोहा ठन्डे
लोहे से कटता है ,क्रोध शान्ति से पराजित होता
है ,भय अभय से
जीता जाता है !सँसार में विजय उसी की होती है जो क्षमा करना
जानता
है ! जिसे सहन करना आता है वह सर्वत्र सिंह की तरह निर्भय रहता है !
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