जय जिनेन्द्र मित्रों
........शुभ प्रात: प्रणाम
एक बार गोबिन्दराव ने एक छोटा सा
पत्र गांधीजी को भेजा - उसमे लिखा था –बिशप
नाम का एक युवक पहाड़ी पर चढ रहा था !उस समय एक छोटी लड़की अपने भाई को कंधे पर लेकर चढ रही
थी ! बिशप ने पूछा –“अरे यह लड़का तो तेरे लिए बहुत भारी है ! कैसे उठा कर पहाड पर चढ
सकेगी तु इसे ?”
लड़की ने मासूमियत से जबाब दिया –“जरा भी भारी नहीं है
! यह तो मेरा भाई है !”
उस पर बापू ने वापस पत्र में लिखा –कितना महान विचार है ? यह भारी नहीं है !
यह तो मेरा भाई है !भारी से भारी चीज भी पंख जैसी
हलकी बन जाती है जब प्रेम उसे उठाने वाला हो !
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