जय
जिनेन्द्र मित्रों .......शुभ प्रात: प्रणाम
मुनिश्री
समन्वय सागर जी का कल सम्मेद शिखर जी में समाधि मरण हो गया ! समाधि के समय 3 आचार्य जी व 8 मुनि उनके पास उपस्थित थे !
वस्तुत:समाधि
मृत्यु महोत्सव नहीं ,जीवन जीने की कला है !समाधि पाठ को मृत्यु के अवसर पर पढ़ने
की वस्तु न मान लिया जाए और न ही उसे मृत्यु से ही जोड़ना चाहिए !यह जीवन भर
चिन्तवन करने का विषय है ,ताकि साधक का मृत्यु के समय भी ज्ञान वैराग्य जागृत रहे
और उसे मोह की मार मूर्छित न कर सके !
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