सत्पुरुष का संकल्प ,वज्रमय होता है और
ह्रदय नवनीत के समान ! वे अपने निश्चय में मेरु कि तरह अचल ,अभेद्य होते हैं और
संकल्प में वज्र के समान सुदृढ़ ! किन्तु दूसरों का दुःख देख कर उनका कोमल दिल
मक्खन की तरह पिघल जाता है और वज्र संकल्प के साथ उसे दूर करने के लिए सुदृढ़ हो
जाते हैं !
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