मित्रों जय जिनेन्द्र ....प्रणाम शुभ प्रात: !
समुद्र एवं कुआँ
समुद्र का पानी खारा होता है इसलिए किसी की प्यास नही बुझाता , कुआँ छोटा होता परन्तु सबको मीठा पानी देकर प्यास
बुझाता है !
इसलिये
समुद्र की तरह गम्भीर बनो परन्तु खारे नही ,कुएँ के पानी की तरह मीठे बनो ,समुद्र
की तरह बड़े बनो ,कुएँ की तरह छोटे नही !
आर्यिका आस्था श्री माताजी
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